


हमारा ट्रस्ट वृन्दावन धाम में एक विशाल और आधुनिक आश्रम का निर्माण कर रहा है, जहां समाज शांति और आध्यात्मिक साधना कर सकेगा। भूमि दान के माध्यम से आप इस सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।
वृन्दावन धाम में सैकड़ों प्राचीन मन्दिर आज भी जर्जर अवस्था में पड़े हुए हैं। हमारा ट्रस्ट इन मन्दिरों के संरक्षण और पुनर्निर्माण का कार्य करता है। आप मन्दिर जीर्णोद्धार के इस पुण्य कार्य से भी अवश्य जुड़ें। सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है।
हमारे समाज में बाल सेवा का विशेष महत्व है। ट्रस्ट नियमित रूप से बालकों को भोजन वितरित करने के लिए भोजन, चिकित्सा और देखभाल की सेवाएं प्रदान करता है। दान की राशि : बालक सेवा के लिए 1100/- से लेकर अपनी सामर्थ्यानुसार दान अर्पित कर सकते हैं।
हमारा अन्न क्षेत्र भूखे और जरूरतमंद लोगों तक शुद्ध, स्वास्थ्यवर्धक और संतुलित भोजन पहुँचाने के लिए समर्पित है। अन्न सेवा केवल भोजन देने तक सीमित नहीं है; यह समाज में भाईचारा, सेवा भाव और मानवता का संदेश भी फैलाती है। हर भोजन के साथ हम जरूरतमंदों तक स्नेह और उम्मीद पहुँचाते हैं।
पूज्य महाराज श्री का संकल्प हैं की कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए भूखा न रहे इस उद्देश्य को चरितार्थ करते हुए पूज्य महाराज श्री के द्वारा श्रीधाम वृंदावन में अन्नक्षेत्र का प्रकल्प चलाया जा रहा हैं , चिड़ी चोंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर। दान दिए धन न घटे, कह गए दास कबीर॥
बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षण और संस्कार। Gurukul जैसा परिवेश तैयार करना।
गौ सेवा और अन्न क्षेत्र के माध्यम से हम समाज में करुणा, सेवा और भक्ति का संचार करते हैं। यह कार्य न केवल धर्मिक कर्तव्य है, बल्कि मानवता की अनिवार्य जिम्मेदारी भी है। हम सभी को मिलकर ऐसे प्रयासों में योगदान देना चाहिए, जिससे समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव का संचार हो।
जहाँ बुजुर्गों का आशीर्वाद है, वहीं सच्ची समृद्धि और भक्ति है। ट्रस्ट मंदिर सेवा वृद्धाश्रम हेतु समर्पित है। सेवा, संस्कार और समर्पण, इन्हीं पर टिका है मानव जीवन। वृद्धाश्रम और मंदिर सेवा यही हमारा संकल्प।
गौ माता हमारे जीवन और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। हमारी संस्था गौ सेवा के माध्यम से उन्हें सुरक्षित, पोषित और सम्मानित रखने का कार्य करती है। गौ सेवा केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवता, करुणा और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है। जब हम गौ माता की सेवा करते हैं, तो हम समाज में दया, संवेदनशीलता और नैतिक मूल्यों का संदेश फैलाते हैं।