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परिचय

कर्त्तव्य पथ सिद्धि चैरिटेबल ट्रस्ट, वृन्दावन धाम में स्थापित एक आध्यात्मिक और मानवतावादी संस्था है, जो नि:स्वार्थ सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रसार करने के लिए समर्पित है। संस्था का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को सेवा के विभिन्न रूपों से लाभान्वित कराना है, जिससे व्यक्ति और समाज दोनों का नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान हो।

उद्देश्य

हमारा उद्देश्य मानवता की सेवा के माध्यम से एक आदर्श समाज का निर्माण करना है, जहां निस्वार्थ सेवा, प्रेम और करुणा की धारा प्रवाहित हो। हम समाज के हर वर्ग तक आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षा पहुँचाकर, एक सुखमय और संतुलित जीवन की प्रेरणा देना चाहते हैं।

कर्तव्य पथ सिद्धि चैरिटेबल ट्रस्ट, जो वृन्दावन (मथुरा, उत्तर प्रदेश) में स्थित है, एक धर्म, सेवा और शिक्षा से जुड़ा मिशन पर कार्यरत संस्था है।

मुख्य उद्देश्य :

  • गौ सेवा (गायों की देखभाल और पोषण)

  • अन्नक्षेत्र (गरीब और ज़रूरतमंदों को निःशुल्क भोजन प्रदान करना)

  • संत सेवा (आध्यात्मिक शिक्षकों और साधुओं की सेवा करना)

कर्तव्यपथ सिद्ध वर्टिकल ट्रस्ट द्वारा प्रस्तावित

  • श्री वृन्दावन धाम में आश्रम के लिए भूमि क्रय

  • अनाथ व गरीब बच्चों के लिए भवन निर्माण

  • गौशाला

  • आधुनिक एवं आध्यात्मिक आवासीय गुरुकुल का निर्माण

  • गौशाला हेतु भूमि दान

  • विद्यार्थियों हेतु हॉस्टल निवास

  • आपदाओं में सनातनियों की सेवा

  • गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग

( आचार्य सतानंद जी महाराज )

पूज्य महाराज जी का जीवन परिचय

उत्तर प्रदेश के काशी क्षेत्र, प्रयागराज जिले के पावन चरवा ग्राम में जन्मे पूज्य सदानंद महाराज का जीवन आध्यात्म और सेवा का अद्भुत उदाहरण है। यह भूमि प्राचीन काल से विद्वानों, आचार्यों और पुण्यात्माओं की तपस्थली रही है। महाराज जी के पूर्वज इसी पावन भूमि से ताल्लुक रखते हैं। बचपन से ही महाराज जी में आध्यात्म में गहरी रुचि थी। गौ सेवा करना, ठाकुर जी और हनुमान जी की भक्ति, तथा भागवत कथा का अध्ययन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है।

महाराज जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव की संस्कृत पाठशाला में प्राप्त की। इसी समय उन्हें भागवत कथा में गहरी रुचि हुई, और 2011 में वृंदावन भ्रमण तथा 2012 में प्रयाग कुंभ में भगवत शरणागति प्राप्त की। वृंदावन में वास के पश्चात, पूज्य गुरुदेव की आज्ञा से श्री गोधाम पथमेड़ा गए, जहाँ उन्होंने 16 महीने तक गौ ब्राह्मणों की संगति में 24 लाख गायत्री जाप किया। इसके बाद, काशी में तीन वर्ष तक गुरु परंपरा के अनुसार शास्त्रों का अध्ययन किया।

महाराज जी ने नर्मदा तट पर रहकर गौ सेवा का कार्य किया और लगभग एक वर्ष तक आलंदी, पुणे, महाराष्ट्र में अध्ययन और अध्यापन किया। तत्पश्चात वृंदावन में पुनः गुरु सेवा के लिए पधारे और आज तक श्रीमद् भागवत कथा, राम कथा और अन्य धार्मिक कथाओं के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

पूज्य महाराज जी के प्रयास केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं हैं। वे सनातन संस्कृति के संरक्षण, गौ सेवा, अन्न सेवा और समाज में भक्ति एवं सेवा भाव के प्रचार-प्रसार में निरंतर कार्यरत हैं। उनके जीवन और कार्य से समाज में करुणा, भक्ति और ज्ञान का संदेश फैलता है।

कर्त्तव्यपथ सिद्ध चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित सेवाएं

गौ सेवा – मातृसदृशा दया का प्रतीक

गौ माता हमारे जीवन और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। हमारी संस्था गौ सेवा के माध्यम से उन्हें सुरक्षित, पोषित और सम्मानित रखने का कार्य करती है। गौ सेवा केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवता, करुणा और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है। जब हम गौ माता की सेवा करते हैं, तो हम समाज में दया, संवेदनशीलता और नैतिक मूल्यों का संदेश फैलाते हैं।

अन्न क्षेत्र – भूख मिटाने और स्नेह बाँटने का कार्य

हमारा अन्न क्षेत्र भूखे और जरूरतमंद लोगों तक शुद्ध, स्वास्थ्यवर्धक और संतुलित भोजन पहुँचाने के लिए समर्पित है। अन्न सेवा केवल भोजन देने तक सीमित नहीं है; यह समाज में भाईचारा, सेवा भाव और मानवता का संदेश भी फैलाती है। हर भोजन के साथ हम जरूरतमंदों तक स्नेह और उम्मीद पहुँचाते हैं।

समग्र उद्देश्य – सेवा, भक्ति और जागरूकता

गौ सेवा और अन्न क्षेत्र के माध्यम से हम समाज में करुणा, सेवा और भक्ति का संचार करते हैं। यह कार्य न केवल धर्मिक कर्तव्य है, बल्कि मानवता की अनिवार्य जिम्मेदारी भी है। हम सभी को मिलकर ऐसे प्रयासों में योगदान देना चाहिए, जिससे समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव का संचार हो।

बाल सेवा

हमारे समाज में बाल सेवा का विशेष महत्व है। ट्रस्ट नियमित रूप से बालकों को भोजन वितरित करने के लिए भोजन, चिकित्सा और देखभाल की सेवाएं प्रदान करता है। दान की राशि : बालक सेवा के लिए 1100/- से लेकर अपनी सामर्थ्यानुसार दान अर्पित कर सकते हैं।

प्राचीन मन्दिरों का पुनर्निर्माण

वृन्दावन धाम में सैकड़ों प्राचीन मन्दिर आज भी जर्जर अवस्था में पड़े हुए हैं। हमारा ट्रस्ट इन मन्दिरों के संरक्षण और पुनर्निर्माण का कार्य करता है। आप मन्दिर जीर्णोद्धार के इस पुण्य कार्य से भी अवश्य जुड़ें। सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है।

भूमिदान सेवा (आश्रम निर्माण)

हमारा ट्रस्ट वृन्दावन धाम में एक विशाल और आधुनिक आश्रम का निर्माण कर रहा है, जहां समाज शांति और आध्यात्मिक साधना कर सकेगा। भूमि दान के माध्यम से आप इस सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।

आध्यात्मिक शिक्षण और गुरुकुल

बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षण और संस्कार। Gurukul जैसा परिवेश तैयार करना।

नर सेवा नारायण सेवा

पूज्य महाराज श्री का संकल्प हैं की कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए भूखा न रहे इस उद्देश्य को चरितार्थ करते हुए पूज्य महाराज श्री के द्वारा श्रीधाम वृंदावन में अन्नक्षेत्र का प्रकल्प चलाया जा रहा हैं , चिड़ी चोंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर। दान दिए धन न घटे, कह गए दास कबीर॥

वृद्धाश्रम

जहाँ बुजुर्गों का आशीर्वाद है, वहीं सच्ची समृद्धि और भक्ति है। ट्रस्ट मंदिर सेवा वृद्धाश्रम हेतु समर्पित है। सेवा, संस्कार और समर्पण, इन्हीं पर टिका है मानव जीवन। वृद्धाश्रम और मंदिर सेवा यही हमारा संकल्प।

सेवा प्रकल्प

1 दिवसीय भोजन सेवा – 1100/-

1 दिवसीय अन्नकूट सेवा – 2100/-

7 दिवसीय अन्नकोष सेवा – 15000/-

भूमि दान

5 sqft भूमि दान सेवा – 2100/-

10 sqft भूमि दान सेवा – 5100/-

25 sqft भूमि दान सेवा – 10500/-

100 sqft भूमि दान सेवा – 21000/-

225 sqft भूमि दान सेवा – 51000/-

आश्रम निर्माण सेवा

1 कमरा निर्माण की सेवा – 2,11,000/-

1 रसोई निर्माण सेवा – 3,51,000/-

सदस्यता

संरक्षक सदस्य – 51000/-

विशिष्ट सदस्य – 51000/-

आजीवन सदस्य – 21000/-

वार्षिक सदस्य – 5100/-

सदस्य – 2100/-

सेवा प्रकल्प

1 दिवसीय भोजन सेवा – 1100/-

1 दिवसीय अन्नकूट सेवा – 2100/-

7 दिवसीय अन्नकोष सेवा – 15000/-

भूमि दान

5 sqft भूमि दान सेवा – 2100/-

10 sqft भूमि दान सेवा – 5100/-

25 sqft भूमि दान सेवा – 10500/-

100 sqft भूमि दान सेवा – 21000/-

225 sqft भूमि दान सेवा – 51000/-

आश्रम निर्माण सेवा

1 कमरा निर्माण की सेवा – 2,11,000/-

1 रसोई निर्माण सेवा – 3,51,000/-

सदस्यता:

संरक्षक सदस्य – 51000/-

विशिष्ट सदस्य – 51000/-

आजीवन सदस्य – 21000/-

वार्षिक सदस्य – 5100/-

सदस्य – 2100/-

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मंदिर केवल पत्थरों की दीवार नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक होता है। जब मनुष्य सच्चे भाव से मंदिर में जाता है, तो वह केवल भगवान की मूर्ति नहीं देखता, बल्कि अपने भीतर की शांति और भक्ति को महसूस करता है। ईश्वर का वास हर जगह है, लेकिन मंदिर हमें यह याद दिलाता है कि आस्था से बड़ा कोई सहारा नहीं।

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